क्या आपके पास ज़रूरत के मुताबिक पैसा है? क्या आपके पास हर वह चीज़ है जिसका आपने सपना देखा था? क्या आप अपनी ज़िंदगी से ख़ुश हैं? अगर आपका जवाब 'हां' है, तो अपना समय ना गंवाएं और इस पेज को बंद कर दें।
जिनका जवाब 'नहीं' था, आगे पढ़ना जारी रख सकते हैं। मैं आपको बताऊंगा कि कैसे अपनी बेकार फ़ुल टाइम नौकरी छोड़ें और अपने घर में आराम से बैठकर एक या बस 2 दिनों में 25,000 रुपये या 40,000 रुपये की कमाई करें।
मुझे इसमें कामयाबी मिली, और अगर आप चाहते हैं, तो आप भी इसमें कामयाब हो सकते हैं! इस राज़ को आप से साझा करते हुए मुझे कोई शिकवा नहीं, क्योंकि यह आपकी ज़िंदगी को बदल देगा और आख़िरकार आपको पैसे के लिए निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
सबसे पहले, मैं अपना छोटा-सा परिचय देना चाहूंगा। मेरा नाम शालिनी आहूजा है। मैं 26 साल की हूं और मुंबई में रहती हूं। मैं एक आम परिवार से एक आम लड़की हूं, एक ऐसा परिवार जिसे आप ख़ुशहाल नहीं कह सकते हैं। जब मैं पैदा हुआ, तो मेरे माता-पिता की उम्र ढल रही थी। मेरी मां क्लिनिक में नर्स थीं और मेरे पिता डंप ट्रक ड्राइवर थे।
मुझे याद है कि बचपन में मेरे मां-बाप भरसक कोशिश करके सस्ते से सस्ता खाना और कपड़े खरीदते थे। अगर उनकी किस्मत अच्छी होती थी, तो वे छुट्टी पर जाने के लिए कुछ पैसे बचा लेते थे। 3 या 4 साल में हम यूरोप भी घूम आते थे।
बारहवीं पास करने के बाद, कॉलेज में दाख़िला लेने का विचार तक मेरे मन में नहीं आया क्योंकि मुझे अपने माँ-बाप के लिए (जो पहले ही रिटायर हो चुके थे) और ख़ुद के लिए पैसे जुटाने थे।
इसलिए मैंने एक नौकरी तलाशी और एक सेल्स असिस्टेंट का काम करना चालू कर दिया, जिसके बदले में मुझे हर महीने लगभग 8,000 रुपये का वेतन मिलता था। यह 2014 की बात है और तब भारत में शुरुआत के लिए यह वेतन काफ़ी अच्छा था।
मैं रोज़ी-रोटी भर के लिए पैसा कमा लेता था, पर मेरा एक सपना था। मैं एक ब्रांड न्यू BMW M6 खरीदना चाहता था। मुझे पता था कि यह बेहद महंगी थी और इसके लिए मुझे वर्षों तक बचत करनी होगी। लेकिन मैं इंतज़ार करने के लिए तैयार था। आख़िरकार यह एक सपना ही था, और सपने एक या दो दिन में हक़ीकत नहीं बनते हैं। ख़ैर, ऐसा मुझे तब लगता था...
मैं अपनी वित्तिय स्थिति की वजह से बहुत उदास था। महंगाई की वजह से क़ीमतें बढ़ रही थीं और भारत में रहना मुश्किल होता जा रहा था। लोग परेशान थे, लेकिन मैं जानता था कि मुझे काम करते रहना होगा...
लेकिन, 3 महीने और निकल गए। जिस दुकान में मैं काम करती थी, वह दिवालिया हो गई। तो अब, मेरे पास न तो कोई नौकरी थी और न ही आय का कोई स्रोत। मैं अपने माता-पिता के रिटायरमेंट के पैसों पर जीने को मजबूर थी।
यह ऐसा समय था कि ख़ुशी का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं था। मैं इंटरनेट पर पूरी मशक्कत के साथ लगा हुआ था कि कोई न कोई नौकरी मिल जाए, लेकिन लगभग दो महीने तक जूझने के बाद भी कोई सफलता नहीं मिली।
दो हफ़्ते और ऐसे ही गुज़र गए और मैं सारी आशाएं छोड़ने ही वाली थी कि मेरे सामने एक वेब पेज आया। यहां पर एक आदमी की कहानी दी गई थी जिसने अपने कंप्यूटर पर इंटरनेट से 6,00,000 रुपये कमाए थे, वह भी घर बैठ-बैठे!